फ्रीडम इन द वर्ल्ड 2020 रिपोर्ट में भारत को 83वां स्थान
एक अमेरिकी संस्था ‘फ्रीडम हाउस’ द्वारा हाल ही में ‘फ्रीडम इन द वर्ल्ड 2020’ नामक एक रिपोर्ट जारी की गई । रिपोर्ट के तहत 195 देशों में वर्ष 2019 के दौरान स्वतंत्रता की स्थिति का मूल्यांकन किया गया है । इस रिपोर्ट में भारत की स्थिति अच्छी नहीं बताई गई है ।
रिपोर्ट तैयार करने के लिए दो संकेतकों का प्रयोग किया गया है जिनमें राजनीतिक अधिकार (0–40 अंक) और नागरिक स्वतंत्रता (0–60 अंक) शामिल किये गये हैं । इस रिपोर्ट में फिनलैंड, नॉर्वे और स्वीडन को 100 में से 100 अंक मिले हैं जबकि भारत को 83वां स्थान दिया गया है ।
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2019 में भारत की हिंदू राष्ट्रवादी सरकार द्वारा कश्मीर में लागू किये गये विभिन्न निर्णयों से महत्वपूर्ण लोकतांत्रिक अधिकारों का उल्लंघन किया गया है ।
फ्रीडम इन द वर्ल्ड 2020 रिपोर्ट में भारत
इस रिपोर्ट में भारत में सरकार द्वारा कश्मीर में लगाये गये विभिन्न प्रतिबंधों का हवाला दिया गया है । इस रिपोर्ट में भारत को तिमोर-लेस्ते और सेनेगल के साथ 83वें स्थान पर रखा गया है । ‘स्वतंत्र’ वर्ग के रूप में वर्गीकृत देशों में केवल ट्यूनीशिया को भारत से कम स्कोर प्राप्त हुआ है । भारत का स्थान इस वर्ष विश्व के 25 सबसे बड़े लोकतंत्रों के स्कोर में सबसे कम है । इस वर्ष भारत का स्कोर चार अंक गिरकर 71 हो गया है । भारत ने राजनीतिक अधिकार श्रेणी में 40 में से 34 अंक प्राप्त किये हैं, लेकिन नागरिक स्वतंत्रता श्रेणी में इसे 60 में से केवल 37 अंक प्राप्त हुए हैं । इस रिपोर्ट के पिछले संस्करण में भारत को 75 अंक प्राप्त हुए थे ।
भारत की कमज़ोर स्थिति के कारण
फ्रीडम इन द वर्ल्ड 2020 रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत सरकार द्वारा कश्मीर में शटडाउन किया गया है. साथ ही साथ नागरिक रजिस्टर और नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के अलावा बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों के चलते भारत की स्थिति कमज़ोर हुई है । भारत में हो रहे विरोध प्रदर्शनों और सरकार के रुख के कारण भारत के धर्मनिरपेक्ष और समावेशी स्वरूप पर खतरा उत्पन्न हो गया है । इस रिपोर्ट के अनुसार, वर्तमान सरकार ने देश की बहुलता और व्यक्तिगत अधिकारों के लिये अपनी प्रतिबद्धता से खुद को दूर कर लिया है, जिसके बिना लोकतंत्र लंबे समय तक जीवित नहीं रह सकता है । रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत को लंबे समय से चीन के लोकतांत्रिक प्रतिरोधी के रूप में देखा जाता रहा है और इसलिये इस क्षेत्र में भारत संयुक्त राज्य अमेरिका का एक महत्त्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार है । अब यह दृष्टिकोण बदल रहा है और चीन के समान भारत को भी लोकतांत्रिक मुद्दों पर आलोचना झेलनी पड़ रही है ।
एक अमेरिकी संस्था ‘फ्रीडम हाउस’ द्वारा हाल ही में ‘फ्रीडम इन द वर्ल्ड 2020’ नामक एक रिपोर्ट जारी की गई । रिपोर्ट के तहत 195 देशों में वर्ष 2019 के दौरान स्वतंत्रता की स्थिति का मूल्यांकन किया गया है । इस रिपोर्ट में भारत की स्थिति अच्छी नहीं बताई गई है ।
रिपोर्ट तैयार करने के लिए दो संकेतकों का प्रयोग किया गया है जिनमें राजनीतिक अधिकार (0–40 अंक) और नागरिक स्वतंत्रता (0–60 अंक) शामिल किये गये हैं । इस रिपोर्ट में फिनलैंड, नॉर्वे और स्वीडन को 100 में से 100 अंक मिले हैं जबकि भारत को 83वां स्थान दिया गया है ।
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2019 में भारत की हिंदू राष्ट्रवादी सरकार द्वारा कश्मीर में लागू किये गये विभिन्न निर्णयों से महत्वपूर्ण लोकतांत्रिक अधिकारों का उल्लंघन किया गया है ।
फ्रीडम इन द वर्ल्ड 2020 रिपोर्ट में भारत
इस रिपोर्ट में भारत में सरकार द्वारा कश्मीर में लगाये गये विभिन्न प्रतिबंधों का हवाला दिया गया है । इस रिपोर्ट में भारत को तिमोर-लेस्ते और सेनेगल के साथ 83वें स्थान पर रखा गया है । ‘स्वतंत्र’ वर्ग के रूप में वर्गीकृत देशों में केवल ट्यूनीशिया को भारत से कम स्कोर प्राप्त हुआ है । भारत का स्थान इस वर्ष विश्व के 25 सबसे बड़े लोकतंत्रों के स्कोर में सबसे कम है । इस वर्ष भारत का स्कोर चार अंक गिरकर 71 हो गया है । भारत ने राजनीतिक अधिकार श्रेणी में 40 में से 34 अंक प्राप्त किये हैं, लेकिन नागरिक स्वतंत्रता श्रेणी में इसे 60 में से केवल 37 अंक प्राप्त हुए हैं । इस रिपोर्ट के पिछले संस्करण में भारत को 75 अंक प्राप्त हुए थे ।
भारत की कमज़ोर स्थिति के कारण
फ्रीडम इन द वर्ल्ड 2020 रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत सरकार द्वारा कश्मीर में शटडाउन किया गया है. साथ ही साथ नागरिक रजिस्टर और नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के अलावा बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों के चलते भारत की स्थिति कमज़ोर हुई है । भारत में हो रहे विरोध प्रदर्शनों और सरकार के रुख के कारण भारत के धर्मनिरपेक्ष और समावेशी स्वरूप पर खतरा उत्पन्न हो गया है । इस रिपोर्ट के अनुसार, वर्तमान सरकार ने देश की बहुलता और व्यक्तिगत अधिकारों के लिये अपनी प्रतिबद्धता से खुद को दूर कर लिया है, जिसके बिना लोकतंत्र लंबे समय तक जीवित नहीं रह सकता है । रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत को लंबे समय से चीन के लोकतांत्रिक प्रतिरोधी के रूप में देखा जाता रहा है और इसलिये इस क्षेत्र में भारत संयुक्त राज्य अमेरिका का एक महत्त्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार है । अब यह दृष्टिकोण बदल रहा है और चीन के समान भारत को भी लोकतांत्रिक मुद्दों पर आलोचना झेलनी पड़ रही है ।
Nice
ReplyDelete