वर्ल्ड मैराथन चैलेंज में आदित्य ने 7 दिन में 7 महाद्वीप में दौड़ पूरी की, ऐसा करने वाले पहले भारतीय ।
अहमदाबाद: आदित्य राज वर्ल्ड मैराथन चैलेंज पूरा करने वाले पहले भारतीय बने । उन्होंने 7 दिन में 7 महाद्वीप में 7 मैराथन दौड़ीं । गुड़गांव के आदित्य ने चैलेंज की शुरुआत केपटाउन द. अफ्रीका से की । उन्होंने आखिरी मैराथन मियामी अमेरिका में खत्म की ।चैलेंज के दौरान उन्होंने अंटार्कटिका, ऑस्ट्रेलिया, एशिया, यूरोप और साउथ अमेरिका में मैराथन दौड़ीं ।
मैराथन में 32 खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया, जिसमें 27 पुरुष और 15 महिलाएं थीं । मैराथन खत्म करने के लिए 168 घंटे का समय मिलता है । आदित्य ने 164 घंटे में मैराथन खत्म कर लीं । मैराथन में हिस्सा लेने के लिए करीब 32 लाख रुपए एंट्री फीस देनी होती है ।
माइनस 30 से लेकर 36 डिग्री तक के तापमान में दौड़े ।
आदित्य ने बताया ये चैलेंज हर साल होती है और इसमें दुनिया के सारे बड़े एथलीट हिस्सा लेते हैं । यह 7 दिन या 168 घंटे में पूरी करना होता है । मैंने 164 घंटे में पूरी की. इसके लिए 7 दिन में पूरी दुनिया में सफर करना पड़ता है, जो बहुत थकाऊ होता है. मैं पहला भारतीय हूं, जिसमें इस चैलेंज में हिस्सा लेकर इसे पूरा किया है. हमने अपने सफर की शुरुआत केपटाउन से की. वहां खत्म करने के बाद अंटार्कटिका पहुंचे. मौसम बहुत खराब था. हमें मैराथन पूरी करने के लिए बहुत थोड़ा समय मिला था ।
हमने रात 12 बजे ही मैराथन दौड़ना शुरू कर दिया. सुबह 7 बजे तक सभी की मैराथन खत्म हो गई थी । हमें सभी की दौड़ खत्म करने का इंतजार करना पड़ता है, क्योंकि सभी साथ में दूसरी जगह जाते हैं । अंटार्कटिका में माइनस 30 डिग्री तापमान था । हवा भी 50-60 किमी/ घंटे की स्पीड से चल रही थी । ऐसे में सांस लेने तक में दिक्कत होती है. इसके बाद 13 घंटे का सफर कर हम ऑस्ट्रेलिया पहुंचे । वहां रात 11 बजे पहुंचे और 12 बजे दौड़ना शुरू कर दिया । अगले दिन सुबह मैराथन खत्म करने के बाद 7 बजे दुबई के लिए निकल गए । वहां भी रात 11 बजे दौड़ शुरू की और अगली सुबह सबकी मैराथन खत्म हुई. खराब मौसम के कारण हमारा काफी समय बर्बाद हुआ, इसलिए हमें लग रहा था कि हम 7 दिन में चैलेंज पूरा नहीं कर पाएंगे । हालात ऐसे हो गए थे कि मैराथन पूरी करो, फ्लाइट में बैठो और अगले देश में पहुंचो । आराम का तो समय ही नहीं मिला । दुबई के बाद मैड्रिड, फिर ब्राजील और अंत में मियामी में चैलेंज खत्म किया. ब्राजील में तो दोपहर 12 बजे 35-36 डिग्री तापमान में दौड़े. वहां 90% से ज्यादा ह्यूमिडिटी थी ।
शरीर को यह तोड़ देती है ।
आदित्य ने बताया कि यह मैराथन शरीर को बिल्कुल तोड़ देती है. आमतौर पर एक मैराथन पूरी करने के बाद बॉडी की रिकवरी 3-4 दिन में होती है । लेकिन यहां तो हमने 14-14 घंटे में एक मैराथन दौड़ी । इस चैलेंज के लिए शारीरिक मजबूती की बजाय मानसिक मजबूती ज्यादा जरूरी होती है । चैलेंज के दौरान बॉडी ऐसे लेवल पर पहुंच जाती है, जहां मसल्स टाइट हो जाते हैं, क्रैंप्स आने लगते हैं, एनर्जी लेवल नीचे पहुंच जाता है । आप मेंटली और साइकोलॉजिकली कितने स्ट्रांग हो, सिर्फ यह मायने रखता है ।
अहमदाबाद: आदित्य राज वर्ल्ड मैराथन चैलेंज पूरा करने वाले पहले भारतीय बने । उन्होंने 7 दिन में 7 महाद्वीप में 7 मैराथन दौड़ीं । गुड़गांव के आदित्य ने चैलेंज की शुरुआत केपटाउन द. अफ्रीका से की । उन्होंने आखिरी मैराथन मियामी अमेरिका में खत्म की ।चैलेंज के दौरान उन्होंने अंटार्कटिका, ऑस्ट्रेलिया, एशिया, यूरोप और साउथ अमेरिका में मैराथन दौड़ीं ।
मैराथन में 32 खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया, जिसमें 27 पुरुष और 15 महिलाएं थीं । मैराथन खत्म करने के लिए 168 घंटे का समय मिलता है । आदित्य ने 164 घंटे में मैराथन खत्म कर लीं । मैराथन में हिस्सा लेने के लिए करीब 32 लाख रुपए एंट्री फीस देनी होती है ।
माइनस 30 से लेकर 36 डिग्री तक के तापमान में दौड़े ।
आदित्य ने बताया ये चैलेंज हर साल होती है और इसमें दुनिया के सारे बड़े एथलीट हिस्सा लेते हैं । यह 7 दिन या 168 घंटे में पूरी करना होता है । मैंने 164 घंटे में पूरी की. इसके लिए 7 दिन में पूरी दुनिया में सफर करना पड़ता है, जो बहुत थकाऊ होता है. मैं पहला भारतीय हूं, जिसमें इस चैलेंज में हिस्सा लेकर इसे पूरा किया है. हमने अपने सफर की शुरुआत केपटाउन से की. वहां खत्म करने के बाद अंटार्कटिका पहुंचे. मौसम बहुत खराब था. हमें मैराथन पूरी करने के लिए बहुत थोड़ा समय मिला था ।
हमने रात 12 बजे ही मैराथन दौड़ना शुरू कर दिया. सुबह 7 बजे तक सभी की मैराथन खत्म हो गई थी । हमें सभी की दौड़ खत्म करने का इंतजार करना पड़ता है, क्योंकि सभी साथ में दूसरी जगह जाते हैं । अंटार्कटिका में माइनस 30 डिग्री तापमान था । हवा भी 50-60 किमी/ घंटे की स्पीड से चल रही थी । ऐसे में सांस लेने तक में दिक्कत होती है. इसके बाद 13 घंटे का सफर कर हम ऑस्ट्रेलिया पहुंचे । वहां रात 11 बजे पहुंचे और 12 बजे दौड़ना शुरू कर दिया । अगले दिन सुबह मैराथन खत्म करने के बाद 7 बजे दुबई के लिए निकल गए । वहां भी रात 11 बजे दौड़ शुरू की और अगली सुबह सबकी मैराथन खत्म हुई. खराब मौसम के कारण हमारा काफी समय बर्बाद हुआ, इसलिए हमें लग रहा था कि हम 7 दिन में चैलेंज पूरा नहीं कर पाएंगे । हालात ऐसे हो गए थे कि मैराथन पूरी करो, फ्लाइट में बैठो और अगले देश में पहुंचो । आराम का तो समय ही नहीं मिला । दुबई के बाद मैड्रिड, फिर ब्राजील और अंत में मियामी में चैलेंज खत्म किया. ब्राजील में तो दोपहर 12 बजे 35-36 डिग्री तापमान में दौड़े. वहां 90% से ज्यादा ह्यूमिडिटी थी ।
शरीर को यह तोड़ देती है ।
आदित्य ने बताया कि यह मैराथन शरीर को बिल्कुल तोड़ देती है. आमतौर पर एक मैराथन पूरी करने के बाद बॉडी की रिकवरी 3-4 दिन में होती है । लेकिन यहां तो हमने 14-14 घंटे में एक मैराथन दौड़ी । इस चैलेंज के लिए शारीरिक मजबूती की बजाय मानसिक मजबूती ज्यादा जरूरी होती है । चैलेंज के दौरान बॉडी ऐसे लेवल पर पहुंच जाती है, जहां मसल्स टाइट हो जाते हैं, क्रैंप्स आने लगते हैं, एनर्जी लेवल नीचे पहुंच जाता है । आप मेंटली और साइकोलॉजिकली कितने स्ट्रांग हो, सिर्फ यह मायने रखता है ।
Good...india
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